Wednesday 10 May 2017

पहली बात

नमस्कार दोस्तों,

मैं अपना परिचय दे कर आपसे अपनी दूरी नहीं बनाना चाहता. मैं समझता हूँ की मुझ से ज्यादा मेरी बात आप तक पहुंचे तो ज्यादा बात बनेगी. फिर भी, अपनी और आपकी तसल्ली के लिए इतना बता सकता हूँ कि समझ से बहुत छोटा हूँ, अवधि से युवा और उत्साह और उमंग से बहुत वृद्ध. अध्ययनरत हूँ, वहां जहाँ  देश के ज्यादातर बच्चे जाना चाहते हैं और मैं भागना चाहता हूँ. सीख रहा हूँ, सीख पाया नहीं हूँ. जीवन जीने के लिए डिग्री, कुछ पैसे और पहुँच की आवश्यकता होती तो है पर इससे भी जरुरी है आपको सांस लेने के लिए हवा, पैर रखने के लिए जमीन और रात को सोने के लिए कुछ सुकून मिले. वही ढूंढ रहा हूँ दुनिया भर में. अब तक जहाँ-जहाँ गया, जहाँ जहाँ से गुजरा, वहां तो नहीं खोज पाया. लोग कहते हैं कि इन्टरनेट की दुनिया बेबाक, बेहद और बेफिक्र है. मेरे लिए 'कहना' बहुत जरुरी हो गया है. यहाँ मैं कह सकता हूँ. सुनना आपके ऊपर है. महज कह लेने भर से मेरे लिए हवा, जमीन और सुकून का इन्तेजाम हो जाएगा.

स्वार्थ से तो केवल 'कहने' आया हूँ. फिर भी, कोशिश करूँगा कि अपनी जिन्दगी से जो खींच कर आपके सामने जो रखूं वो 'सुन' पाएं आप.

आभार.